श्रीकृष्ण शांति मूर्ति
कोटि कोटि प्रणाम हो।।
जगत पालन करता तुम ही
तुम्ही जगत पितामा हो।।
निरंकार अविनाशी तुम ही
तुम्हीं लक्ष्मी पति हो।।
नाम,जप,तप का तुम्ही
तुम्ही पुरण आधार हो।।
त्रिदेवया रूप का ही
तुम्ही आनंद रूप हो।।
नरसिंह अवतार तुम ही
तुम्हीं पालनहार हो।।
हे जगतपति नारायण तुम ही
तुम्ही भवरूपी सागर हो।।
आनंद मैं आनंद रूपी
तुम्हीं भगवन रूप हो।।
हे नारायण तुम ही पिता
तुम्हीं मेरी मातृ हो।।
राम नाम सत्य तुम ही
तुम्हीं राधा श्याम हो।।
ॐ नमो भगवते तुम ही
तुम्हीं देवो अनंत हो।।
ॐ नमो नारायण तुम ही
तुम्हीं आदर्श वही राम हो।।
भाव रूपी मन का तुम ही
तुम्हीं भगवत रूप हो।।
हे रघुबीर तुम ही आदि
तुम्हीं पूर्ण अनंत हो।।
ॐ हरी नाम का ही
तुम्हीं पूरण अर्थ हो।।
कोटि कोटि प्रणाम तुमको
तुम्हीं जीवन धर्म हो।।
{ॐ हरी हरी ॐ, ॐ हरी हरी हरी}
– Shri Krishna
jai shree krishna
ReplyDeleteRadhe Radhe
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