।।कोहराम।।
कुछ कहूं मैं तुमसे
तो खफा ना हो जाना
है इश्क़ हमें तुमसे तुम हमे
अब छोड़ ना जाना।।
की उमड़ता है रगो मैं
मोहब्बत का कोहराम तुम्हारा
समझकर पागल दीवाना तुम हमे
अब छोड़ ना जाना।।
निशानियां है तुम्हारी
हमारे दिल के भीतर
समझकर महज चोट तुम इसको
तुम हमे अब छोड़ ना जाना।।
की खाकर चोट ये मैंने
लिखा है तुझे नसीब मैं अपने
समझकर मज़ाक तुम इसको
तुम हमे अब छोड़ ना जाना।।
ये मुमकिन है नही की
कोई आकर छीन ले तुमको
लफ़ंगा अब शक्श समझकर
तुम हमे अब छोड़ ना जाना।।
— RANJEET SHARMA
Wow very heart touching
ReplyDeleteThankyou
DeleteGjb bhai
ReplyDeleteThankyou
DeleteWriting skill bahut achhi hai
ReplyDeleteThankyou
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